लेखक:
राजमणि शर्मा
राजमणि शर्मा 2 नवम्बर, 1940 को लम्भुआ गाँव, सुलतानपुर (उ.प्र.) में जन्म। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी), भाषा विज्ञान में द्विवर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा एवं पी-एच.डी. (हिन्दी)। कृतकार्य आचार्य, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय। सम्प्रति स्वतन्त्र लेखन, व्याख्यान। आदिकालीन, आधुनिक तथा समकालीन हिन्दी साहित्य, भाषा-विज्ञान, बोली-अध्ययन, अनुवाद विज्ञान, कोश विज्ञान आदि में विशेष सक्रिय। प्रकाशन : ‘प्रसाद का गद्य-साहित्य’ , ‘आधुनिक भाषा विज्ञान’, ‘हिन्दी भाषा : इतिहास और स्वरूप’, ‘भारतीय प्राणधारा का स्वाभाविक विकास : हिन्दी कविता’, ‘मेरो मन अनत कहाँ सुख पायो’, ‘दलित चेतना की कहानियाँ : बदलती परिभाषाएँ’, ‘काव्य-भाषा : रचनात्मक सरोकार’, ‘बलिया का विरवा : काशी की माटी’, ‘अनुवाद विज्ञान : प्रायोगिक सन्दर्भ’, ‘छायावाद और जयशंकर प्रसाद’ और ‘अपभ्रंश भाषा और साहित्य’। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल पुरस्कार से सम्मानित। |
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अपभ्रंश भाषा और साहित्यराजमणि शर्मा
मूल्य: $ 12.95
अपभ्रंश को आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं के जननी कहा गया है आगे... |
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दलित चेतना की कहानियाँ बदलती परिभाषाएँराजमणि शर्मा
मूल्य: $ 9 दलित चेतना की कहानियाँ बदलती परिभाषाएँ आगे... |
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मेरा मन अनत कहाँ सुख पावै---राजमणि शर्मा
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